जौनपुर में मनाया गया मछली पकड़ने का पोराणिक मौण मेला ।


पहाड़ की दहाड़ —आज जौनपुर का पौराणिक मौण मेला अगलाड़ नदी के भिंडे नामें तोक पर ढोल नगाड़े व तिलक लगाकर नदी में मौण डाला गया । क्षेत्र के हजारों लोगों की मौजूदगी में मौणार्थी नदी में मच्छी पकडने को उतरे ।

आज गुरुवार को जौनपुर के पौराणिक लोक संस्कृति पर आधारित राजशाही के समय से चली आ रही परंपरा मौण मेला त्यौहार अगलाड़ नदी में पंतीदार पट्टी लालूर के 9 ग्रामीणों द्वारा हर्ष उल्लास के साथ नदी डाला गया । प्राकृतिक औषोधि टिमरु पाउडर से मच्छी घायल हो जाती , और कुछ देर बाद मच्छी अपनी उसी स्थिती पर आ जाती है। घायल मच्छी को मौणर्थी को पकडने के लिए स्थानीय उपकरण में कुडियाला फटियाडा, जाल आदि के द्वारा लगभग 4 किमी नदी की परधि में मच्छी पकडने का सिल- सिला चलता है। मौण की मच्छी का स्वाद तो लाजबाव ही क्या कहना । इस दौरान इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि प्रकृति पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े इसलिए टिमरू का पाउडर डाला जाता है कोई ब्लास्ट नहीं होता ना ही कोई केमिकल पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है। क्षेत्र के लोग बड़े उत्साह के साथ इस मेले में भाग लेते हैं। मौण मेला का प्रारंभ 1866 में तत्कालीन टिहरी नरेश नरेंद्र शाह ने अगलाड़ नदी पर मछली मारने की एक अनूठी परंपरा को प्रारंभ किया था जो आज भी चली आ रही है कहते हैं कि स्वयं टिहरी नरेश अपने लाव लश्कर के साथ यहां आकर इस मेले में प्रतिभाग किया था। 114 गांव के ग्रामीण पट्टी अठज्यूला, छज्यूला, सिलवाड,लालूर,गोडर, जौनसार आदि क्षेत्र के ग्रामीण अगलाड नदी में मोना के लिए मच्छी पकड़ने को आते हैं।

इस अनेखों मेले को देखने के लिए देश विदेश से भारी तादात में यहां लोग शिरकत कर अद्भुत नजारे का भरपूर लुप्त उठाते हैं। बरसात से पहले जून के अंतिम सप्ताह में मौण मेले का आयोजन किया जाता है। बरसात में क्योंकि नदी का पानी मैला हो जाता है, और उस समय मछली को नहीं खाया जाता है। क्षेत्र के लोग पकड़ी गई मच्छलियों को प्रसाद के रूप में घर ले जाते हैं और अपने नाते -रिश्तेदारों, आस-पड़ोस को खिलाते हैं।
इस बार मौण निकालने व नदी में डालने की बारी ( पंतीदार )ग्राम देवन , ग्राम घन्सी , ग्राम खडकसारी, ग्राम मीरागांव , ग्राम हडियांगांव , ग्राम छानी, ग्राम टिकरी, ग्राम ढकरोल व सल्टवाड के ग्रामीणो द्वारा मौण (टिमरू पाऊडर ) मौणा नदी उडेला गया । इस दौरान मसूरी और आसपास के क्षेत्र के लोग भारी संख्या भी मौजूद रहे।