पहाड़ की दहाड़ –मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को हरेला पर्व के अवसर पर अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर में ‘जल संरक्षण एवं जल धाराओं के पुनर्जीवन’ थीम पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पौधे लगाए। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास करने वाले स्कूलों एवं वन पंचायतों को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं दी और सबके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि हरेला पर्व सुख, समृद्धि, शान्ति, पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण का प्रतीक है। यह पर्व सामाजिक सद्धभाव का पर्व एवं ऋतु परिर्वतन का भी सूचक है। यह दिवस प्रकृति व मानव के सह अस्तित्व को स्मरण करने व प्रकृति संरक्षण के हमारे प्रण को पुनः दोहराने का दिन है। उत्तराखण्ड प्राकृतिक रूप से समृद्ध राज्य है। हरेला एक ऐसा ही पर्व है, जो हमारी प्रकृति से निकटता को और अधिक प्रगाढ़ बनाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी को प्रतिज्ञा लेनी होगी कि हम प्राकृतिक धरोहर एवं विरासत को संरक्षित कर भावी पीढ़ी को स्वच्छ पर्यावरण देंगे। इस बार राज्य में हरेला पर्व की थीम जल संरक्षण एंव जल धाराओं का पुनर्जीवन निर्धारित की गई है। उन्होंने जल संरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में सभी को योगदान देने के लिए अपील की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने सर्कुलर इकोनॉमी पर काफी जोर दिया है। क्योंकि जल संरक्षण के क्षेत्र में भी सर्कुलर इकोनॉमी की बड़ी भूमिका है, जब ट्रीटेड जल को पुनः उपयोग किया जाता है, ताजा जल को संरक्षण किया जाता है तो उससे पूरे इकोसिस्टम को बहुत लाभ होगा। उन्होंने कहा कि राज्य की गैर हिम नदियों का ग्रीष्म कालीन प्रवाह बहुत कम रह गया है, जिसका प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन है। उत्तराखण्ड में अकेले पेयजल सैक्टर में जल की आवश्यकता की गणना की जाये, तो वर्ष 2052 की सम्भावित जल की मांग लगभग 1980 एम.एल.डी. आंकी गयी है, जो कि लगभग 23 क्यूमेक है। राज्य में मांग के सापेक्ष शतही श्रोतों पर आधारित मांग 70 प्रतिशत है, जो कि लगभग 1400 एम.एल.डी. ही है। कई विभागों द्वारा स्प्रिंगशेड सोर्स रिजूनिवेशन, कैचमेन्ट एरिया, सोर्स सस्टेनबलिटी, चाल-खाल, चैक डैम, कन्टूर ट्रैन्च आदि के कार्य कराये जा रहे है, जिसके अच्छे परिणाम भी सामने आये है। ऐसे में पूरे प्रदेश में एक मॉडल प्लान तैयार कर कार्य किये जाने की आवश्यकता है। इंडस्ट्री और खेती दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिसमें पानी की आवश्यकता अत्यधिक होती है, इन दोनों क्षेत्रों को मिल कर जल संरक्षण अभियान चलाना होगा और लोगों को जागरूक करना होगा। मुख्यमंत्री ने वर्षा जल संरक्षण और भंडारण से जल संवर्द्धन करने के दिए निर्देश उन्होंने ताल खाल चाल बनाने हेतु सभी विभागों को आगे आने का आवाह्न किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में पिछले 9 साल से जो भी प्रमुख विकास योजनाएं संचालित हो रही हैं, उन सभी में किसी न किसी रूप से पर्यावरण संरक्षण के साथ ही जल संरक्षण का आग्रह भी है। चाहे स्वच्छ भारत मिशन हो या वेस्ट टू हेल्थ से जुड़े कार्यक्रम हो, अमृत मिशन के तहत शहरों में आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण हो, या सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति का अभियान हो या फिर नमामि गंगे अभियान के तहत गंगा स्वच्छता का अभियान हो, पर्यावरण रक्षा और जल संरक्षण के क्षेत्र में हमारे देश के प्रयास बहुआयामी रहे हैं। जल संरक्षण की दिशा में प्रधानमंत्री जी द्वारा देशभर में अमृत सरोवर की शुरुआत की गई है। अमृत सरोवर योजना के तहत जिला स्तर, नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जर्जर हो चुके तालाबों का जीर्णोद्धार कर इन्हें पुनर्जीवित किया जा रहा है।
वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि हरेला पर्व के उपलक्ष्य में इस वर्ष प्रदेश में 08 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। यह अभियान 15 अगस्त तक चलेगा। वुक्षारोपण के साथ ही उनके संरक्षण की दिशा में विशेष ध्यान दिया जायेगा। जिस सेक्टर में वृक्षों का सक्सेस रेट सबसे अधिक होगा, उस सेक्टर के वन दरोगा को सम्मानित किया जायेगा। 15 अगस्त को 1750 गांवों में 75-75 पेड़ लगाये जायेंगे। वन मंत्री ने कहा कि जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में भी विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से अपील की कि पर्यावरण के संरक्षण में सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा। उन्होंने अपील की कि पौधे लगाकर सेल्फी विद प्लांट पोस्ट करें, जिससे हम अपनी भावी पीढ़ी को बता सकें कि हमने पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या योगदान दिया।
इस अवसर पर सांसद श्रीमती माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक श्री उमेश शर्मा काऊ, मेयर श्री सुनील उनियाल गामा, प्रमुख सचिव श्री आर.के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) श्री अनूप मलिक एवं वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
हरेला पर्व प्रदेश भर सहित टिहरी जनपद में बड़े उत्साह एवं जनसहभागिता के साथ मनाया गया।
जनपद के विभिन्न स्थलों पर अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, मीडिया प्रतिनिधियों, पर्यावरणविद, समाज सेवी संगठनों, संस्थाओं, स्कूली बच्चों एवं अन्य गणमान्यों द्वारा जनसहभागिता के साथ पौधारोपण कर पर्यावरण को संरक्षित रखने का संकल्प लिया गया।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित द्वारा डाईजर नई टिहरी,भोणा बागी ग्राम पंचायत बटखेम एवं ग्राम पंचायत बुडोगी विकास खंड चंबा में पौधारोपण किया गया। साथ ही आगामी चुनाव को लेकर स्वीप कार्यक्रम के तहत जन जागरूकता हेतु ग्राम पंचायत बटखेम में सभी उपस्थितों को शपथ दिलाई गई। इस मौके पर जिलाधिकारी द्वारा हरेला पर्व की थीम “जल संरक्षण एवं जल धाराओं का पुनर्जीवन” को लेकर पालदा तोक, ग्राम पंचायत बुडोगी, विकास खण्ड चम्बा में स्थित प्राकृतिक जल स्रोत के पुनरोद्धार एवं पुनर्जीवन कार्य का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में आगामी 15 अगस्त, 2023 तक विभिन्न विभागों के माध्यम से 13 लाख पौधों रोपण का लक्ष्य रखा गया है। कहा कि जल जीवन मिशन योजना के तहत पुनर्जीवित किए जा रहे प्राकृतिक जल स्रोतों के समीप मनरेगा, 15वें वित्त एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से पौधा रोपण किया जाएगा।
वहीं विधायक टिहरी किशोर उपाध्याय द्वारा
भोणा बागी ग्राम पंचायत बटखेम विकास खंड चंबा में पौधा रोपण किया गया। विधायक टिहरी ने हरेला पर्व की शुरवात करने वालों को बधाई देते हुए कहा कि मा. प्रधानमंत्री एवं संरक्षक मा. मुख्यमंत्री श्री पुष्कर धामी जी ने विस्तृत रूप से हरेला पर्व मनाने का आह्वान किया है। इस क्रम में और जिला प्रशासन द्वारा एक माह में 13 लाख पौधा रोपण का जो लक्ष्य तय किया गया है, उनके संरक्षण में सभी की भागीदारी जरूरी है।
इस मौके डीएफओ टिहरी पुनीत तोमर, सीडीओ मनीष कुमार, नगर पालिका अध्यक्ष टिहरी सीमा कृषाली, ब्लॉक प्रमुख जाखणीधार सुनीता देवी, चंबा शिवानी बिष्ट, जिलाध्यक्ष भाजपा राजेश नौटियाल, प्रधान प्रधान बुडोगी सुलोचना चौहान, डीडीओ सुनील कुमार, सीईओ एल.एम.चमोला, एआरटीओ चक्रपाणि मिश्रा, डीईओ वी.के. ढौंडियाल सहित अन्य अधिकारी/कर्मचारी, जन प्रतिनिधि, मीडिया प्रतिनिधि, स्कूली बच्चे एवं अन्य मौजूद रहे।