पहाड़ की दहाड़ — 1962 व 65 में चीन व पाकिस्तान के हमले के बाद देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा की दृष्टि से गुरिल्ला युद्ध पद्धति पर आधारित एस एस बी का गठन किया गया जिसमे सीमा वर्ती क्षेत्रों से बड़ी संख्या में एस एस बी वॉलेंटियर नियुक्त कर उन्हे गुरिल्ला युद्ध की ट्रैनिंग दी गयी । इनमे से कई रेगुलर सर्विस के हिस्सा बने तथा कुछ प्रशिक्षित युवा वॉलेंटियर के रूप में हर वर्ष रिफ्रेश् कोर्स के जरिये एस एस बी बल के हिस्सा बने रहे। नॉर्थ ईस्ट में सरकार ने ऐसे प्रशिक्षित गुरिल्लों को पेंसन देकर उनके साथ न्याय किया लेकिन उतराखंड सहित देश के अन्य गुरिल्लों की आवाज को केंद्र सरकार ने अनसुना कर उपेक्षा जनक रवैया अपनाने पर 17 सालों से सड़क से संसद तक लगातार संघर्षरत गुरिल्लों ने आर पार की चेतावनी दी है। उतराखंड के सभी जनपदों में गुरिल्ला संगठन संघर्षरत है।
देश विदेश में चार धाम यात्रा का बड़ा महत्व है। इस यात्रा काल में गुरिल्लों का संघर्ष राज्य व केंद्र सरकार के सामने चुनोती पैदा कर सकता है। गुरिल्ला संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानंद डालाकोटि, जिलाध्यक्ष टिहरी दिनेश गैरोला, पौड़ी के जिलाध्यक्ष मानसिंह नेगी , रुद्रप्रयाग के जिलाध्यक्ष सुनील चौधरी ,ब्लॉक अध्यक्षों सहित बड़ी संख्या में गुरिल्लों ने श्रीनगर में बैठक कर डब्बल इंजन की सरकार को अपनी तीन सूत्रीय मांगो को लेकर आर -पार की चेतावनी दी है।