पहाड़ की दहाड़ –देवीय अनुकंपा व प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर उतराखंड में रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण हो रहे पलायन को रोकने स्थानीय संसाधनों से रोजगार युक्त आर्थिकी तंत्र को बढ़ाते हुए जीवन की खुशहाली के लिए समग्र परिवर्तन की कवायद में जुटे भारत सरकार के पूर्ब सचिव आई ए एस डॉ कमल टावरी ने वन विभाग मुख्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में जंहा एक ओर समाज में अपने संसाधनों से प्रेरणादायी कार्य कर रहे विशिष्ट पहिचान कर्मयोगियों को जामवंत सम्मान से सम्मानित किया वंही दूसरी ओर उन्होंने गॉवों व समाज को मजबूत करने के लिए अलग अलग रुचि वाले लोगों को मिलकर सबको साथ लेकर स्वाभिमानी स्वाबलंबन रोजगार के शुभलाभी मॉडल के लिए समग्र परिवर्तन का आह्वान किया। इस अवसर पर से. नि .आई ए एस निवेदिता हरन ने कहा कि हमे निचले गॉव स्तर पर वैज्ञानिक पद्धति से बदलाव लाना होगा। ब्यूरोक्रेसी (सिस्टम) मे बहुत कमी है सब कुछ अधिकारी व नेताओं पर नही छोड़ सकते है। इस अवसर पर थर्ड आई के चेयरमैन डॉ अवधेश पाण्डे ने कहा कि आज समाज को सही जानकारी व ज्ञान की आवश्यकता है उन्होंने कहा कि शरीर के पास अपने को ठीक व स्वस्थ रखने की सारी क्षमताएं है डॉ पांडे ने बताया कि वह इंटीग्रेटेड हेल्थ के माध्यम से लोगों को समझाना चाह रहे है कि हमें प्रकृति, शास्त्र से न्यू लर्न व अनलर्न कर अपनी बीमारियों को को ठीक करना है । डॉ पांडे ने इस अवसर पर तत्काल हीलिंग का डेमो भी दिया। इस अवसर पर निदेशक हिमालयन एड्वेंचर इंस्टीट्यूट के निदेशक पूर्ब डी आई जी एस पी चमोली ने अपने अनुभवों को साझा कर पहाड़ की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा कि हमें व्यवहारिक रूप से समस्यों को समझ कर परिवर्तन की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि हमें प्रयोगत्मक ढङ्ग से सोचने के साथ मानव संसाधन को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस अवसर पर अपने इंस्टीट्यूट को ट्रेनिग सेंटर के रूप में उपयोग करने पर सहमति दी। इस अवसर पर वन मंत्री के सलाहकार सेवा निवृत बन अधिकारी एस के सिंह ने विभाग की विभिन्न योजनाओ की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वन पंचायत नियमावली में संशोधन की आवश्यकता है। भारत सरकार की योजनाओं को भी वन पंचायत में शामिल किया जाना चाहिए । हर्बल नर्सरी व उत्पादों के लिए वन पंचायतों को जोड़ा जा सकता है। विलुप्त प्रजातियों का सरक्षण किया जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वन विभाग अभी ढरे पर ही चल रहा है। इस अवसर पर जामवंत सम्मान से सम्मानित बागेश्वर से देवकी लघु वाटिका मण्डल सेरा के संचालक 12 प्रकार के बनों में आठ लाख से अधिक पौधों का रोपण करने वाले किशन सिंह मलडा ने कहा कि वन हमारे जीवन के आधार है इनसे ही हमारी संस्कृति भाषा बोली की पहिचान है। उन्होंने इस अवसर पर अपने विभिन्न प्रकार के बनों को विकसित करने के अनुभव साझा किये। इस अवसर पर जामवंत सम्मान से सम्मानित तेजराम सेमवाल, बीज बम के द्वारिका प्रसाद सेमवाल, हिमालय बचाओ आंदोलन के समीर रतूड़ी, कमांडर सौरभ अग्रवाल, श्रीमती उषा अग्रवाल, श्रीमती माधुरी चमोली , थर्ड आई के सिकंदर टुटेजा, उतराखंड हरि कबीरा बहुउद्देशीय सहकारी समिति के सचिव डॉ अरविंद दरमोडा , प्रेम पंचोली जामवंत सम्मान से सम्मानित एस डी ओ डॉ उदय गौड़ सहित अनेक गण मान्य व्यक्तियों ने विचार व्यक्त कर आजादी के अमृत काल में समग्र परिवर्तन के आवश्यकता पर बल दिया। इस अवसर पर डॉ जगमोहन अग्रवाल, डी एफ ओ अमरेश कुमार, एस डी ओ स्पर्श काला, शिप्रा शर्मा, वीरेंद्र चौहान, दिवाकर, प्रशांत नगरकोटि, कोमल सिंह नेगी, प्रशांत सिंह मलाडा, माउंट बेली के नव प्रभात सिंह, कुलदीप उनियाल , देवानंद मैठाणी आदि उपस्थित थे।