उत्तराखंड कलक्ट्रेट मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ की लम्बित मांगों का निराकरण न होने से मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ 16 से करेंगे आंदोलन

उत्तराखंड कलक्ट्रेट मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ की लम्बित मांगों का निराकरण न होने से मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ 16 से करेंगे आंदोलन

पहाड़ की दहाड़ —-उत्तराखंड कलक्ट्रेट मिनिस्ट्रल कर्मचारी संघ अपनी विभिन्न मांगों को लेकर वर्ष 2005 से संघर्षरत है। यदि संगठन की लम्बित मांगों का निराकरण नहीं किया जाता है तो संघ को आंदोलन हेतु बाध्य होना पड़ेगा। यह बात उत्तराखंड कलक्ट्रेट मिनिस्ट्रल कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष केशव गैरोला ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही। गैरोला ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि, उत्तराखंड कलक्ट्रेट मिनिस्ट्रल कर्मचारी संघ की हाल ही नैनीताल में सम्पन्न त्रैमासिक बैठक में निर्णय लिया गया कि मांगे न माने जाने पर उत्तराखंड कलक्ट्रेट मिनिष्ट्रीयल कर्मी उपेक्षित होने से आंदोलन करने के लिए बाध्य हो रहे हैं।
गैरोला ने जानकारी देते हुए कहा कि – कलक्ट्रेट का ढांचा का पुनर्गठन वर्ष-2005 से लम्बित है। जबकि शासन ने वर्ष 2008 में, कमिश्नर गढ़वाल एवं कुमाऊँ मण्डल की अध्यक्षता में समिति गठित की गयी । और उक्त समिति ने अपनी सिफारिस वर्ष 2010 में राजस्व परिषद को सौंपी। जिसके आधार पर, डेढ़ माह मे शासन आदेश जारी किए जाने के आदेश हुए, किंतु शासन स्तर पर आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
यही नहीं मा श्री विजय बहुगुणा पूर्व मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सम्पन कैबनेट की बैठक वर्ष 2013 निर्णय लिया गया था कि सीधी भर्ती के पदों के सापेक्ष 10 प्रतिशत पदों पर मिनिस्ट्रीयल पदों से पदोन्नति प्रदान किए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया। और शासन के पत्रांक 1932 /18(1)/ 2013-04(2)/10 दिनांक 31.12.2013 से राजस्व परिषद से पात्रता निर्धारण का अर्थ 3 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए ,किंतु कैबिनेट में प्रस्ताव पास होने के बावजूद भी इस संबंध में शासनादेश निर्गत किए जाने के स्थान पर उक्त प्रकरण के निस्तारण हेतु राज्य के 3 कैबिनेट मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति गठित की गई जिसमें अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा पूर्व में श्री मदन कौशिक मान्य मंत्री जी उत्तराखंड सरकार देहरादून की अध्यक्षता में भी एक समिति गठित की गई जो श्री मदन कौशिक जी के माननीय मंत्री पद से त्यागपत्र देने पर स्वतः निष्प्रभावी हो गई तथा प्रकरण निस्तारण हेतु लंबित है। अतः प्रकरण में माननीय कैबिनेट में लिए गए निर्णय का क्रियान्वयन करवाते हुए तदनुसार शासनादेश निर्गत किए जाने की मांग सगठन लगातार कर रहा है।
उत्तराखंड कलक्ट्रेट मिनिस्ट्रल कर्मचारी संघ,की मांग है कि, कलेक्ट्रेट में सचिवालय की भाँति कार्यों का संपादन किया जाता है इसलिए कलेक्ट्रेट को मिनी सचिवालय अथवा विशेष विभाग का दर्जा प्रदान किया जाना आवश्यक है।तथा सचिवालय कर्मियों और कलेक्ट्रेट कर्मियों का वेतनमान 2800. रुपए से प्रारंभ किया जाना न्यायोउचित है।
प्रांतीय अध्यक्ष गैरोला ने कहा कि,मुख्य प्रसाशनिक अधिकारी के पद पर कलक्ट्रेट कर्मी की 20-25 वर्षों के कार्यानुभव के पश्चात पदोनति होती है। और वह तहसील स्तर पर सभी तरह के कर्यानुभव रखता है, जोकि एक तहसीलदार के योग्य होता है। जिस कारण, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को तहसीलदार का लिंक अधिकारी घोषित किए जाने की मांग बहुत जायज है । कलक्ट्रेट कर्मचारी संगठन का कहना है कि, तहसीलदार की अनुपस्थिति में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को न्यायिक कार्यों को छोड़ कर अन्य दायत्वों को दिया जाना उचित है। जिससे जनता के आवश्यक कार्यों के साथ साथ विभागीय कार्यों का भी समय पर सम्पादन हो सकेगा। संघ का कहना है कि,राजस्व मैनुअल के प्रस्तर- 355 में भी इस आशय की स्पष्ट ब्यवस्था की गई है।
गैरोला ने यह भी जानकारी देते हुए कहा कि, उत्तराखंड विभिन्न कलेक्ट्रेट एवं तहसीलों में 14 मुख्य प्रशासनिक अधिकारी एवं 36 वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के रिक्त पदों पर यथा समय पदोन्नति ना होने से राज्य के 200 से अधिक कर्मियों को वितीय नुकशान झेलना पड़ता है। जिस कारण मुख्य प्रशासनिक अधिकारी एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के पदों पर शीघ्र पदोन्नात्ति की जानी आवश्यक है। प्रेस विज्ञप्ति में यह भी उल्लेख किया गया है कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा रिट पिटीशन संख्या- 115/ 2018 में पारित आदेश दिनांक 29.8 .2018 में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि, कर्मचारी संगठनों की मांगों के क्रम में समिति बना कर 03 माह में मांगों का निस्तारण सुनिश्चित किया जाय। किंतु शासन स्तर पर फिर भी अनदेखी की जाकर,कर्मचारियों की मांगों का निस्तारण …