केदारनाथ त्रासदी से प्रभावित घनसाली क्षेत्र को भी है सुरक्षा की दरकार। चारधाम यात्रा का मध्य क्षेत्र है घनसाली।


पहाड़ की दहाड़ —केदारनाथ त्रासदी (16 व 17 जून 2013) जल प्रलय से हुए अकल्पनीय जान माल का भारी नुकसान की भरपाई करना एक दशक बाद भले सम्भव नही है फिर भी बाबा केदारपुरी का नव निर्माण सनातन संस्कृति के साधक प्रधान मन्त्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा रहा है। एक दशक में केदारपुरी के नव निर्माण व बेहतरीन सुविधाओं ने देश विदेश के श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है। जल प्रलय से मंदाकिनी घाटी के साथ भिलंगना व बाल गंगा घाटी भी प्रभावित हुई है। भिलंगना घाटी के घुत्तू कस्बे तथा घनसाली कस्बे में एक दर्जन से ज्यादा मकान जल प्रलय के भेंट चढ़े। प्रभावित परिवारों को कई महीनों तक टेंटों में रहना पड़ा। भिलंगना व बाल गंगा के किनारे काफी कृषि भूमि बह गयी। कई कास्तकर भूमि हीन हो गये। सरकार का फोकस केदार नाथ रहा जिसमें सरकार ने ऐतिहासिक रूप से सफलता हासिल की है लेकिन चारधामों का मध्य सीमांत घनसाली क्षेत्र केदारनाथ त्रासदी के एक दशक बाद भी अपने जख्मों के साथ उम्मीद बाँधे है कि उसके साथ भी न्याय होगा। क्षेत्र के जन प्रति निधियों व सामाजिक संगठनो ने भिलंगना नदी के किनारे विकसित नगर घनसाली के सुरक्षा व सौंदर्य करण के लिए बाढ़ सुरक्षा व रिवर फ्रंट बनाने की मांग शासन प्रशासन से की है।