नवोदित संगीतकार गुंजन की पहली पुण्यतिथि पर आयोजित स्वरंजली कार्यक्रम में प्रसिद्ध लोक गायक सहित आम आदमी हुए भावुक।


पहाड़ की दहाड़ — प्रतिभाएं अपना रास्ता खुद तय करते है लेकिन जीवन दाता का निर्णय सब को हतप्रभ कर देता है। संगीत के क्षेत्र में अपने नये प्रयोगों की साधना में लगे संगीत कार गुंजन का असमय जाना अपूर्णीय क्षति है । संगीत के क्षेत्र में कम समय में अलग पहचान बनाने वाले संगीतकार गुंजन डंगवाल को संस्कृति विभाग के ऑडिटोरियम देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में 18 जून 2023 को उनकी पहली पुण्यतिथि पर स्वरांजलि दी गई l कार्यक्रम में उत्तराखंड के उभरते लोक गायकों द्वारा गुंजन द्वारा संगीतबद्ध गीतों की प्रस्तुति दी गई यद्यपि अपनी प्रस्तुतियों के दौरान लोक गायक बहुत भावुक भी हुए तथा मंच पर ही गुंजन को याद करते हुए रोने लगे। विवेक नौटियाल,अमित खरे,रूहान भारद्वाज सौरभ मैठाणी अलभ्य बडोनी, और ओम बधाणी द्वारा लोकप्रिय संगीतकार गुंजन को स्वरांजलि दी गई। इन प्रस्तुतियों में अमित डंगवाल, चंद्रपाल कोहली, सुमित गुसाईं, तथा विकास चमोली द्वारा संगीत दिया गया तथा संगीत निर्देशन गुंजन के संगीत गुरु सुमंत पंवार ने किया l गुंजन द्वारा संगीतबद्ध बहुत लोकप्रिय गीत चैता की चैत्वाली के गायक अमित सागर भी कार्यक्रम में पहुंचे। इससे पूर्व गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी,पद्मश्री प्रीतम भरतवाण,उत्तराखंड की स्वर कोकिला मीना राणा, संगीतकार संजय कुमोला, शिक्षांकुर स्कूल के निदेशक आचार्य सच्चिदानंद जोशी,साहित्यकार डॉ नंदकिशोर हटवाल,रमाकांत बेंजवाल,रमेश उनियाल, गंगा प्रसाद नैथानी आदि द्वारा गुंजन के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ कार्यक्रम का आरंभ हुआ। आलोक डंगवाल, प्रतिभा सेमवाल, एयर कॉमोडोर ओमप्रकाश सेमवाल तथा गुंजन के पिता कैलाश डंगवाल द्वारा गुंजन की यादों को बांटते हुए सभी का धन्यवाद किया गया। कार्यक्रम में उस वक्त वातावरण बहुत गमगीन हो गया जब डिजिटल पर्दे पर गुंजन से संबंधित डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित की गई। अपने संबोधन में पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने गुंजन को लीक से हटकर काम करने वाला सफल संगीतकार बताया। उन्होंने कहा कि जिंदगी कितनी लंबी है यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि उस जिंदगी में हम क्या कर पाए l छोटी उम्र में बहुत कुछ कर जाने वालों का जिक्र करते हुए उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण दिया। प्रसिद्ध गायिका मीना राणा मंच पर आई तो गुंजन के व्यवहार,मृदुल वाणी, और विनम्रता को याद कर फफक – फफककर रोने लगी। उन्होंने कहा कि गुंजन बहुत छोटा था जब उसने मेरे साथ पहला गीत गाया। गढरत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने गुंजन को नई पीढ़ी के बीच लोकप्रिय संगीतकार बताया तथा कहा कि उन्होने परंपरा से हटकर संगीत में प्रयोग किए। इस अवसर पर नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने गीत मैं त नि रौलु मेरा भुलों, तुम दगड़ी मेरा गीत राला, के सृजन पर बात की। गढगौरव नरेंद्र सिंह नेगी, जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण सहित कला, संगीत और साहित्य से जुड़े तमाम लोगों ने इस कार्यक्रम की अवधारणा तथा रूपरेखा की सराहना की। इस अवसर पर गुंजन के जन्मदिवस 4 सितम्बर पर उनके परिवार द्वारा प्रतिवर्ष संगीत में उभरती प्रतिभा को अयोध्या गुंजन स्कालरसिप देने की घोषणा की गई। कार्यक्रम में बीना बेंजवाल, देवेश जोशी,विजय रतूड़ी,डॉक्टर सरला सकलानी, अनिल बडोनी,अनिल नेगी विनोद बडोनी,शिव प्रकाश नैथानी, अश्वजीत,दीपक कैंतुरा,राकेश बडोनी, विकास बडोनी,डॉक्टर पवन कुदवान, कांता घिल्डियाल,सविता बडोनी,रीना खंडूड़ी,गोपाल दत्त सकलानी,संतोष सकलानी, विनीता सकलानी,अखिलेश अंथवाल,रणजीत सिंह,गौरव रावत,चंडी प्रसाद तिवारी, मधुरवादिनी तिवारी,आशा भट्ट,डॉ राकेश भट्ट, मुकेश सकलानी,सुदीप जुगराण ,कामाक्षा मिश्रा, सचिन नौटियाल, द्वारिका डंगवाल,अनूप डंगवाल, उपेन्द्र भट्ट, पूनम पंवार, परिचय डंगवाल, सृजन डंगवाल, सतवीर तथा मालविका सेमवाल,त्रिष्ठव बडोनी , हृदय राम अंथ्वाल सहित कई आम तथा खास लोगों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम में शिव प्रकाश नैथानी, रणजीत सिंह,मनोज असवाल,अमित राणा तथा अनिल नेगी का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन गिरीश बडोनी ने किया।