उतराखंड में भारी बारिश, भूस्खलन, चट्टानों के गिरने से कई भवन जमीदोन्ज। आम मार्गों सहित मुख्य यात्रा मार्ग बाधित होने से जन जीवन अस्त व्यस्त।


पहाड़ की दहाड़ –उत्तराखंड में बारिश कहर बनकर बरस रही है। जगह-जगह भूस्खलन से जहां मार्ग बाधित हो गए हैं तो वहीं केदारघाटी में एक बार फिर बड़ी घटना हुई है। यहां जहां अभी तक गौरीकुंड में मलबे में दबे लोग नहीं मिल सके हैं वहीं अब दूसरी ओर एक तीन मंजिला इमारत ताश के पत्तों की तरह ढह गई है। केदारघाटी में कई स्थानों पर केदारनाथ हाईवे भी बंद हो गया है।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार केदारघाटी में भारी बारिश ने जमकर तबाही मचाई है। केदारघाटी मे गुप्तकाशी केदारनाथ राष्ट्रीय राज मार्ग पर न्यालसू रामपुर के पास बारिश के कारण 30 से 35 कमरों का एक तीन मंजिला होटल ध्वस्त हो गया है। बताया जा रहा है कि देखते ही देखते होटल की इमारत ताश के पत्तों की तरह ढह गई। इसके अलावा केदारघाटी में कई स्थानों पर केदारनाथ हाईवे भी बंद हो गया है। जगह-जगह कई यात्री फंस गए हैं।

बताया जा रहा है कि केदारघाटी के न्यालसू रामपुर में राजपाल सिंह रावत का 30 से 35 साल पुराना होटल टूटा है। ये होटल पहले एक किनारे से टूटने लगा। फिर देखते ही देखते पूरा होटल जमींजोद हो गया। इसके लिए होटल स्वामी ने एनएच को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं इस घटना के दौरान लोगों में हड़कंप मचा रहा।

दूसरी ओर रुद्रप्रयाग के गौरीकुंड भूस्खलन हादसे में लापता 20 लोगों का चार दिन बीत जाने के बाद भी कोई सुराग नहीं लग पाया है। एनडीआरएफ, एसडीआरएएएफ, डीडीआरएफ, वाईएमएफ, पुलिस और होमगार्ड के जवान खाई से लेकर नदी में बिखरे मलबे की एक-एक चीज को खंगाल रहे हैं।
दूसरी तरफ भू वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार उतराखंड के कई सवेदन शील गॉवों के पुनर्वास हेतु भी शासन प्रशासन द्वारा गभ्भीरता से ठोस कार्यवाही न होने से प्रभावित गॉवों के ग्रामीण हर पल जान जोखिम में डाल कर जी रहे हैं। क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संवेदनशील गॉवों पुनर्वास के लिए मुख्यमंत्री धामी से पहल करने की मांग की है।