घनसाली को उजाड़ने पर व्यापारियों व स्थानीय नागरिकों ने किया आंदोलन। अतिक्रमण की कार्यवाही हुई स्थगित।


पहाड़ की दहाड़ —उतराखंड में न्यायालय के सड़को पर अतिक्रमण हटाने के निर्देश पर जिस तरह से घनसाली में बिना नोटिस व समय दिये बिना तोड़ फोड़ कर दो जून की रोटी जुटाने के लिए संघर्ष कर रहे स्थानीय निवासियों व व्यापारियों शासन व प्रशासन की मार झेलनी पड़ी उससे व्यापारियों, स्थानीय नागरिकों व सामाजिक संगठनो में भारी आक्रोश व्यापत है।

व्यापारियों व सामाजिक संगठनो के शासन प्रशासन के हिटलर शाही अमानवीय अव्यवस्था के खिलाफ बाजार बंद कर एकजुटता के साथ घनसाली को उजाड़ने से रोकने के लिए अंतिम सांस तक आंदोलन की चेतावनी देते हुए जंहा एक ओर न्यायालय का सम्मान करने की बात की वंही दूसरी तरफ स्थानीय क्षेत्रीय मूल निवासियों जो वर्षों से अपनी आजीविका चला रहे है उनके घरों को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ने की कार्यवाही को रोकते हुए उनके साथ न्याय करने की मांग की है। निरंतर जन सेवा के कार्यों को लेकर अपने पत्राचार तथा धरनों के लिए विख्यात पूर्ब विधायक भीमलाल आर्य के आंदोलन में कूदने से आंदोलन की धार को गति देने तथा धरना स्थल पर पूर्ब विधायक भीम लाल आर्य ने प्रशासन व विभागीय अधिकारियों के हिटलर शाही अमानवीय अवैधानिक अव्यवस्था तरीके के लिए स्थानीय व्यापारियों व नागरिको को एकजुट होकर घनसाली को बचाने का आह्वान किया। पूर्ब विधायक भीम लाल आर्य ने कहा कि एक तरफ सरकार समस्यों के समाधान के लिए सरलीकरण, समाधान, निस्तारण व संतुष्टि के साथ अपनी कार्य संस्कृति के जरिये सरकार को जनता के लिए जबाब देही बनाने की बात कर रही है दूसरी तरफ अधिकारीगण मनमाने तरीके अपना रहे है।

व्यापार मण्डल अध्यक्ष डॉ नरेंद्र डंगवाल, कोषाध्यक्ष चतर सिंह रमोला, पूर्ब कनिष्ठ प्रमुख व सामाजिक कार्यकर्ता साहब सिंह कुमाइं पूर्ब क्षेत्र पंचायत सदस्य भरत सिंह , सहित अनेक व्यापारियों व स्थानीय नागरिकों ने घनसाली को बचाने के लिए न्याय न मिलने तक संघर्ष का संकल्प लिया।व्यापारियों व सामाजिक संगठनो ने स्पष्ट रूप से कहा की सरकार सड़कों की चोड़ाई का जानकारी जनता को दे ताकि कोई भी व्यक्ति सड़क को अतिक्रमण नही करेगा। हर आदमी को सुरक्षित व बढ़िया सड़क चाहिए।

क्षेत्रीय विधायक शक्ति लाल शाह ने मुख्यमंत्री के संज्ञान मे वस्तु स्थिति लाकर भले ही अतिक्रमण की कार्यवाही पर रोक लगा दी हो। फिर भी शासन प्रशासन को जो मूल निवासी पलायन न कर पहाड़ के इन छोटे कस्बों को अपनी आजीविका का केंद्र बना रहे है उनको उजाड़ने से बचाने के लिए ठोस नीति बनाकर भूमि बन्दोबस्त करना चाहिए। वर्षो से कब्जा धारियों के साथ न्याय कर उन्हें मालिकाना हक देने हेतु नीति बनानी चाहिए । उतराखंड के पहाड़ी कस्बों में कई लोगों ने आवास के लिए भूमि आबंटन पट्टे के लिए आवेदन प्रस्ताव जिला प्रशासन को दिये है । पहाड़ों में वर्ग नो ग की भूमि है सरकार को वर्ग चार की भूमि की तरह वर्ग 9 ग की भूमि पर कब्जाधारियों को ठोस नीति बनाकर वर्षो से मकान बनाकर अपनी जीविका चला रहे लोगों के साथ न्याय कर उनको मालिकाना हक के लिए नीति बनानी चाहिए। क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक संगठनो व जन प्रति निधियों ने प्रदेश सरकार से उनको उजाड़ने तथा पलायन के लिए मजबूर करने के बजाय उनके साथ मानवीय पहलुओं पर विचार कर मालिकाना हक के लिए ठोस नीति बनाने की मांग की है।