बंदरों के आंतक से नदी किनारे असहाय घुरड (हिरन) के बच्चे का वन विभाग कर्मियों ने रेस्कयू कर जंगल में छोड़ा

पहाड़ की दहाड़ — बंदरों की हिंसक प्रवृति से किसान ,गॉव समाज , कस्बाई बाजार में लोग परेशान है ही लेकिन अब बंदरों की हिंसक प्रवृति से वन के अन्य प्राणी भी परेशान है ऐसा वाक्या भिलंगना रेंज के घनसाली कस्बे के सूरी धार के नीचे भिलंगना नदी के किनारे बंदरों के हमलों से असहाय घुरड (हिरन) के बच्चे के साथ दिखी। भिलंगना नदी के दूसरे छोड़ पर सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश सेमवाल की लेबर सुरक्षा दीवाल का कार्य करने आई तो नदी के दूसरे तरफ ढालदार वन क्षेत्र में घुरड अपने छोटे बच्चे के साथ विचरण कर रहा था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पहले बंदरों ने घुरड के माँ को बच्चे से अलग किया फिर घुरड के बच्चे के पीछे पड़ गए । हिंसक बंदरो के हमले से बच्चा नदी के किनारे पड़ गया। बंदर नदी किनारे आकर घुरड के बच्चे पर हमला करने लगे । नदी के दूसरी तरफ लेबर ने हल्ला कर बंदरो को रोके रखा। सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश सेमवाल ने तुरंत बन विभाग को सूचना की। वन विभाग की Q R T टीम वन दरोगा रविंद्र नैथानी, वन आरक्षी विकास पंवार ने नेपाली विजय की सहायता से घुरड (हिरन) के लगभग तीन माह के बच्चे का रेसक्यु किया। तथा सुरीधार ले जाकर वन क्षेत्र में छोड़ा जँहा बच्चा अपने माँ से मिल पाया। गौर तलब है कि तेजी से बढ़ती बंदरों की आबादी तथा उनकी हिंसक प्रवृति अब वन प्राणियों के साथ साथ आम खेती बाड़ी लोगों के जीवन को दूभर कर रही है विभिन्न मंचों पर बंदरों की समस्याओं से निपटने की मांग उठती रही है लेकिन कोई ठोस योजना नही बनने से जनता में रोष है विभिन्न सामाजिक संगठनो व जन प्रतिनिधियों ने शासन प्रशासन से बन्दरो से निजात दिलाने की मांग की है।